दिल में कुछ ख्वाब जागे थे

जो अब दिल में ही समा गए

Utpal Kumar
Sep 15, 2024
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दिल में कुछ ख्वाब जागे थे
जो अब दिल में ही समा गए
हकीकत से रूबरू ना हुई वो
और उनकी कब्र दिल ने ही बना दिया

कभी कभी अकेलेपन में
याद आती है उन ख्वाहिशों की
जिसने कभी दिल के अरमान जगाए थे
और नए अनुभवों से अवगत किया था

अब तो बस यादें ही बाकी हैं
जो अकेलेपन में सतह पर आती हैं
उन्हें मैं नज़रअंदाज़ करता हूँ
और वापस दिल की गहराइयों में भेज देता हूँ

जो हुआ उससे बस एक सीख मिली
दिल की ख्वाहिशों को बयां करो
वरना उनकी कब्र दिल ही बना देगा
जिसमें वो ख्वाहिशें समा जाएंगी

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Utpal Kumar

Interested in the psychology behind human functioning. I write on a variety of topics with most of them dealing with personal development | MS in CS from UCSD