भावनाएं
कैसे जन्म लेती हैं ये भावनाएं?
भावनाएं
कैसे जन्म लेती हैं ये भावनाएं?
कुछ तो है तुम्हारे अंदर
भावनाओं के स्वरूप में
जिस तक पहुँचती है मौज़ूदा स्थिति
तुम्हारे ना चाहते हुए भी
भावनाओं का सैलाब बन जाता है
जिसमें तुम डूब जाते हो
सोचते हो क्यों आया ये सैलाब
पर उत्तर नहीं मिलता
ये सैलाब मौज़ूदा स्थिति के कारण नहीं
बल्कि मौज़ूदा स्थिति द्वारा भावना को उजागर करने के कारण है
ये वही भावना है
जो मन के किसी कोने में छिपी होती है
अगर अप्रिय भावना का सैलाब न चाहते हो
तो छिपी अप्रिय भावना को जड़ से निकालो
जो कारण बनाती है
भावनाओं का सैलाब बनाने में
छोड़ दो अपने अवचेतन मन को
जाने दो किसी भी दिशा में
वो तुम्हारे अंदर छिपी भावना तक ले जाएगी
जिस पर काम करने से मुश्किलात आसान हो जाएँगे
रम जाओ अपनी भावना में
तोड़ दो उसका गुरूर
ख़त्म कर दो उसकी ताक़त
तुम्हारा कठिन काम तो अब हो गया
जब छिपी भावना बेजान हो जाए
तो समझ आता है उस भावना के पीछे का कारण
एक ग़लत धारणा होती है
जो बदलाव की इच्छुक है
सही धारणा आत्मसात करो
फिर कोई भावनाओं का सैलाब न आएगा
जब कुछ है ही नहीं अंदर
तो सैलाब का रूप कौन लेगा?