जब रास्ते में अंगारे हों

और मंज़िल का पता नहीं

Utpal Kumar
1 min readOct 12, 2024
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जब रास्ते में अंगारे हों
और मंज़िल का पता नहीं
अमावस्या की रात में
ज़िन्दगी अंजान रास्ते खड़ी कर गई तुम्हें

अंधकार से घबराना नहीं
अंगारों से एक मशाल जलाना तुम
रास्ते पर चल सकोगे तुम
और अपनी मंज़िल के ओर बढ़ सकोगे तुम

जितने ज्यादा अंगारे
उतनी बेहतर मशाल की रोशनी
मार्ग बेहतर दिखेगा तुम्हें
और मंज़िल जल्दी मिलेगी तुम्हें

अंगारे विषम परिस्थिति हैं
जितनी विषम परिस्थिति
उतनी ज्यादा आग अपने अंदर जाने की
और अपनी कमियाँ निकालने की

अपनी कमियों पर काम करना
है मार्ग पर आगे बढ़ना
जल्द मुकाम पाओगे
एक नया व्यक्तित्व निखर कर सामने आएगा

कुछ लोग अंगारों का सही इस्तेमाल नहीं करते
और रास्ते पर ही रुक जाते हैं
भयानक अमावस्या की रात, न दिखाई देता है कुछ उन्हें
और वो मंज़िल से दूर ही रह जाते हैं

अंगारों का करो सही इस्तेमाल तुम
मशाल जलाओ बेहद रोशनी वाली
मार्ग पर आगे बढ़ो तुम
मंज़िल तुम्हें ज़रूर मिलेगी

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Utpal Kumar

Interested in the psychology behind human functioning. I write on a variety of topics with most of them dealing with personal development | MS in CS from UCSD