तारीफ़

जब दिल की बात ज़ुबान पर आये

Utpal Kumar
2 min readOct 9, 2024
Photo by George Dolgikh from Pexels

तारीफ़
जब दिल की बात ज़ुबान पर आती है
और दूसरे को एहसास होता है
आपकी नज़रों में क्या मायने हैं उनका

तारीफ़ ख़ुशी देती है
मन में दबी कौतुहल को शांत करती है
क्या सही में आप उसे चाहते हैं
इस प्रश्न पर विराम लगाती है

तारीफ़ रिश्तों की खुलेपन को दर्शाती है
रिश्तों में कोई मतभेद ना हो
तब ही दिल की अच्छी बातें ज़ुबान पर आती हैं
और तारीफ़ का रूप ले दूसरे को भाती हैं

अगर रिश्तों में कड़वाहट हो
तारीफ़ ना निकलेगी ज़ुबान से
और दिल की बात दिल में ही रह जाएगी
और रिश्तों की कड़वाहट यूँ ही बरक़रार रहेगी

रिश्तों को इस क़दर सुधारो तुम
दिल की बात दिल में दबी ना रहे
परिचय हो उसका बाहर की दुनिया से
तारीफ़ का रूप ले वो दूसरे एवं स्वयं को ख़ुशी पहुँचाये

जब किसी की तारीफ़ करो
तो आँखें चमक जाती हैं उसकी
और उन आँखों के सहारे दिल में प्रवेश पाते हैं आप उसके
इतना कुछ कर गुज़रता है एक तारीफ़

जम कर तारीफ़ करो
जो बात दिल में है उसे ज़ुबान पर लाओ
रिश्तों की कड़वाहट ख़त्म होने का संकेत है ये तारीफ़
और दूसरों के दिल में प्रवेश पाने का रास्ता है ये तारीफ़

इतने फ़ायदे हैं तारीफ़ के
क्यों इसे अपने अंदर समाए बैठे हो
खुल कर तारीफ़ करो
और दिल की बात दूसरे तक पहुँचाओ

--

--

Utpal Kumar

Interested in the psychology behind human functioning. I write on a variety of topics with most of them dealing with personal development | MS in CS from UCSD