पहला साथी
आप खुद हैं
किसी दूसरे को साथी बनाना
है ये एक कठिन काम
जब तक आप खुद के साथी नहीं बनते
किसी दूसरे को साथी बनाना है मुश्किल
अपने आप से प्यार करो
अपने आप को चाहो
एक ऐसा रिश्ता बनाओ अपने आप से
जो मुश्किलात में भी साथ दे
अपना साथी आप
अगर ये बनाने में हो आप सक्षम
दूसरे फिर यूं ही दोस्त बनेंगे
कोई जोर लगाने की आवश्यकता नहीं
एक मजबूत जोड़ी हो आपकी अपने आप से
एकांत में भी एक सहारा मिलेगा
ना घबराओगे तुम अकेलेपन से
तुम्हारा साथी हरदम तुम्हारे साथ रहेगा
जब एकांत से बैर नहीं
तो दूसरों से रिश्ता बनेगा
जो तुम्हारे उसूलों पर होगा
क्योंकि रिश्ता टूट एकांत का डर ना होगा उसमें
अपने हिसाब से रिश्ता निभाओगे
ना भय का होगा उसमें कोई वास
वैसे रिश्ते ज़्यादा खुशी देते हैं
जहां आप आप होते हैं
आप का आप होना है ज़रूरी
तभी रिश्ता खिलेगा
अपने आप को दबाकर
कभी देखा है रिश्तों को खिलते
अपने आप का साथी बनो
एकांत से ना डरो तुम
अन्य रिश्ता भी बखूबी बनेगा तुम्हारा
और वो बनेगा भी एक खुशहाल रिश्ता