पानी का बुलबुला और द्वेष
सतह पर आते हैं दोनों ही
पानी का बुलबुला और द्वेष
सतह पर आते हैं दोनों ही
ज़्यादा दिन दबे नहीं रहते
मौका मिलते ही ऊपर आते हैं दोनों
पानी की गहराई में हो बुलबुला
सतह तक का रास्ता तय करता है वो ज़रूर
सतह पर आते ही फूट जाता है
और हलचल पैदा करता है
द्वेष भी मन की गहराई से
तय करता है फ़ासला सतह तक
सतह पर आकर फूट जाता है
और पैदा करता है हलचल
बुलबुले के स्रोत पर जाओ
हवा के उत्पन्न होने पर रोक लगाओ
ना होगा स्रोत हवा का
ना उत्पन्न होगा कोई बुलबुला
द्वेष के स्रोत पर जाओ
उसके पीछे का कारण समझो
उस कारण पर काम करो तुम
ना उत्पन्न होगा फिर कोई द्वेष
बुलबुला सिर्फ हलचल का कारण नहीं
स्रोत तक जाने का रास्ता है
द्वेष सिर्फ हलचल का कारण नहीं
स्रोत तक जाने का रास्ता है
ना बुलबुले का स्रोत होगा
ना होगी सतह पर हलचल
द्वेष के कारण का होगा निवारण
और मन होगा शांत और शिथिल